ज़िन्दगी अपनी , तो ख्वाब किसी और के क्यों ? आप जो चाहते हैं उससे अपने जीने का मकसद बनायें। wishes पूरी हो न हों , जूनून ज़रूर पूरा होता है। और जब जूनून अपनी हद पार करके बेहद हो जाये तभी ख्वाब सच्चाई बन के सामने आते है। अपने ख्वाब को अपनी आँखों से ना हटने दें। दिन रात अपने ज़हन में रखें, उसका इज़हार सब के सामने न करें। जो आम है वो खास नहीं हो सकता। आप अपनी ज़िन्दगी के वास्कोडिगामा हैं , जिस राह ज़िंदगी को ढूंडेंगे उसी राह वो मिलेगी। दिन रात , अपने aim पे work कीजिये , आप का target आप को ज़रूर मिलेगा।